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नई दिल्ली

जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने ट्रांसजेंडर और विविध लिंग व्यक्तियों के अधिकारों पर हैंडबुक जारी की

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नई दिल्ली । भारत में ट्रांसजेंडर और विविध लिंग व्यक्तियों के अधिकारों पर हैंडबुक का अनावरण सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी ने ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति प्रो. (डॉ.) सी. राज कुमार और ट्रांस जस्टिस आंदोलन के हितधारकों व कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में किया। यह हैंडबुक जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल में लॉ एंड मार्जिनलाइजेशन क्लिनिक, सेंटर फॉर जस्टिस, लॉ एंड सोसाइटी (सीजेएलएस) द्वारा प्रोफेसर दीपिका जैन और नताशा अग्रवाल की देखरेख में “ट्रांस जस्टिस एंड द लॉ क्लिनिक” नामक क्लिनिकल कोर्स के हिस्से के रूप में ट्रांसमेन कलेक्टिव, ईगल और फेमिनिस्ट फ़्यूचर के सहयोग से तैयार की गई है।कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सांता बारबरा की पहल, हैंडबुक ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 को उजागर करती है और ट्रांसजेंडर और विविध लिंग व्यक्तियों को उनके संवैधानिक और वैधानिक अधिकारों का दावा करने के लिए सशक्त बनाने का प्रयास करती है। न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी (पूर्व न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट) ने विशेष संबोधन में हैंडबुक के महत्व पर जोर दिया और 2014 में राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण बनाम भारत संघ में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लिखने और सुनाने के अपने अनुभवों पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा : “हम फैसले से लेकर अधिनियम और अब इस हैंडबुक जैसे संसाधनों तक एक लंबा सफर तय कर चुके हैं जो समुदाय को उनके अधिकारों का एहसास करने और भारत के संविधान के वादों को पूरा करने में मदद करेगा।”

न्यायमूर्ति सीकरी ने न केवल न्यायशास्त्रीय दृष्टिकोण से, बल्कि समाज के भीतर सम्मान और प्रतिष्ठा सुनिश्चित करने के लिए भी पहचान का महत्व समझाया।प्रो. (डॉ.) सी. राज कुमार (संस्थापक कुलपति, ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी) ने स्वागत भाषण में नैदानिक कानूनी शिक्षा के लिए जेजीयू की प्रतिबद्धता पर जोर दिया और टिप्पणी की कि “कानून स्कूलों के लिए सामाजिक न्याय आंदोलन के साथ जुड़ाव सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।”

उन्होंने एक ऐसी हैंडबुक विकसित करने के लिए आवश्यक बौद्धिक कठोरता और सहयोगात्मक दृष्टिकोण पर भी जोर दिया जो व्यापक, सुलभ हो और जिसका उपयोग कार्यकर्ताओं व समुदाय के सदस्यों द्वारा जमीन पर किया जा सके।

हैंडबुक का परिचय देते हुए दीपिका जैन, लॉ की प्रोफेसर, वाइस डीन, निदेशक, लॉ एंड मार्जिनलाइजेशन क्लिनिक, सेंटर फॉर जस्टिस, लॉ एंड सोसाइटी, जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल और नताशा अग्रवाल, क्लिनिकल असिस्टेंट प्रोफेसर ऑफ लॉ, जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल ने बताया कि लॉ एंड मार्जिनलाइज़ेशन क्लिनिक का काम अंतर्संबंध और समुदाय-केंद्रित दृष्टिकोण पर आधारित है।

प्रत्येक नैदानिक परियोजना का उद्देश्य और परिणाम ट्रांस मूवमेंट के साथियों द्वारा तैयार किया जाता है।हैंडबुक कोई अपवाद नहीं है, क्योंकि ट्रांस आंदोलन के दोस्तों ने एक ऐसे संसाधन की जरूरत पर जोर दिया है, जो ट्रांसजेंडर व्यक्ति अधिनियम को व्यापक रूप से विखंडित करता है।

उन्होंने ट्रांस, विविध लिंग और इंटरसेक्स समुदायों के सदस्यों के प्रति भी आभार जताया, जिन्होंने परामर्शात्मक प्रक्रियाओं और समीक्षाओं के माध्यम से अपनी विशेषज्ञता और प्रतिक्रिया की पेशकश की।

हैंडबुक ट्रांसजेंडर व्यक्ति अधिनियम, ट्रांसजेंडर व्यक्ति नियम, सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न उच्च न्यायालयों के प्रासंगिक निर्णयों के साथ-साथ राज्य-विशिष्ट कल्याण योजनाओं के प्रावधानों को उजागर करती है।

ट्रांसजेंडर और विविध लिंग व्यक्तियों के लिए :

विशेष रूप से, हैंडबुक किसी व्यक्ति की लिंग पहचान को दर्शाने वाले पहचान दस्तावेजों को प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल बनाती है और शिक्षा, रोजगार व स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में ट्रांसजेंडर और विविध लिंग व्यक्तियों के अधिकारों की व्याख्या करती है।

हैंडबुक यह प्रदर्शित करने के लिए काल्पनिक परिदृश्यों का उपयोग करती है कि कैसे एक ट्रांसजेंडर और विविध लिंग व्यक्ति कानून के तहत अपने अधिकारों का दावा कर

सकता है।इसके अलावा, ये काल्पनिक बातें दलित, बहुजन, आदिवासी और मुस्लिम व्यक्तियों व विकलांग व्यक्तियों सहित सामाजिक-राजनीतिक और भौगोलिक संदर्भों में व्यक्तियों द्वारा सामना की जाने वाली अद्वितीय बाधाओं का वर्णन करती हैं।

यह हैंडबुक भारत भर में जमीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं और संगठनों के साथ-साथ ट्रांसजेंडर और विविध लिंग व्यक्तियों के कानूनी सशक्तीरण के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण होगी।

लॉन्च इवेंट में माधवी गोराडिया दीवान (वरिष्ठ वकील, सुप्रीम कोर्ट), अक्कई पद्मशाली (सामाजिक कार्यकर्ता और ओन्डेडे के संस्थापक), नू मिश्रा (संस्थापक, रिवाइवल डिसेबिलिटी इंडिया) और ऋत्विक दत्ता (पत्रकार, बीबीसी) के साथ एक पैनल चर्चा भी हुई।

पैनल का संचालन डॉ. अक्सा शेख (सामुदायिक चिकित्सा के प्रोफेसर, ह्यूमन सॉलिडेरिटी फाउंडेशन के संस्थापक) ने किया।

अधिवक्ता माधवी दीवान ने ट्रांसजेंडर व्यक्ति अधिनियम के महत्वपूर्ण प्रावधानों पर चर्चा की और सकारात्मक कार्रवाई व प्रक्रियात्मक की कमी को ध्यान में रखते हुए कानून की कुछ सीमाओं पर चर्चा की।ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए पहचान पत्र प्राप्त करने में जटिलताएं :

ऋत्विक दत्ता ने ट्रांसजेंडर व्यक्ति अधिनियम के तहत कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन पर भी बात की, विशेष रूप से पूर्वोत्तर भारत में स्माइल योजना के कार्यान्वयन की कमी को ध्यान में रखते हुए। इसी तरह, अक्कई पद्मशाली ने जारी किए गए पहचान पत्रों की सीमित संख्या की ओर इशारा किया, जिसके परिणामस्वरूप मतदान के लिए पंजीकरण कराने वाले ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की संख्या पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। डॉ. अक्सा शेख और नू मिश्रा ने हैंडबुक के मूल्य और महत्व पर जोर दिया। विशेष रूप से नू मिश्रा ने दृश्य तत्वों और कलाकृति के समावेश की सराहना की, यह देखते हुए कि कला अक्सर कार्यकर्ताओं के बीच वकालत का एक उपकरण है। डॉ. अक्सा ने उन तरीकों पर भी प्रकाश डाला, जिसमें हैंडबुक जीवित अनुभवों से ली गई है और इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि कानून कैसे बनता है। विशेष रूप से, नू मिश्रा ने दृश्य तत्वों और कलाकृति के समावेश की सराहना की, यह देखते हुए कि कला अक्सर कार्यकर्ताओं के बीच वकालत का एक उपकरण है। ↑डॉ. अक्सा ने उन तरीकों पर भी प्रकाश डाला, जिसमें हैंडबुक जीवित अनुभवों से ली गई है और इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि इनमें से प्रत्येक स्थिति में कानून का उपयोग कैसे किया जा सकता है।

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नई दिल्ली

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्‍यापार विभाग द्वारा नई दिल्ली में ओएनडीसी स्टार्टअप महोत्सव आयोजित; डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क का लाभ उठाने का प्‍लेटफॉर्म

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नई दिल्ली । उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने 17 मई 2024 को वाणिज्य भवन, नई दिल्ली में अपनी तरह का पहला कार्यक्रम ‘ओएनडीसी स्टार्टअप महोत्सव’ आयोजित किया। यह आयोजन डीपीआईआईटी की दो प्रमुख पहलों- स्टार्टअप इंडिया पहल और ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) के उत्‍सव और सहयोग का प्रतीक है।

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव श्री राजेश कुमार सिंह ने स्टार्टअप विकास और नवाचार के लिए इकोसिस्‍टम को विकसित करने और प्रोत्साहन के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “ओएनडीसी स्टार्टअप महोत्सव भारत में स्टार्टअप्स के लिए ओएनडीसी से प्राप्त अवसरों का लाभ उठाने का एक महत्वपूर्ण बिंदु है। पिछले डेढ़ वर्षों में नेटवर्क तेजी से विकसित और परिपक्व हुआ है, और आज का सत्र भारत में डिजिटल कॉमर्स को लोकतांत्रिक बनाने के लिए डीपीआईआईटी और उद्योग दोनों की प्रतिबद्धता दिखाता है।

इस कार्यक्रम में हाइब्रिड मोड में लगभग 5,000 स्टार्टअप्स की भागीदारी हुई। इस दौरान स्टार्टअप्स, यूनिकॉर्न और ईजमाईट्रिप, ऑफबिजनेस, विंजो, लिवस्पेस, ग्लोबलबीज, प्रिस्टिन केयर, कार्स24, फिजिक्स वाला, पॉलिसीबाजार और ज़ेरोधा जैसे उच्च विकास व्यवसायों सहित 125 से अधिक इकोसिस्‍टम हितधारकों ने आशय पत्र (एलओआई) पर हस्ताक्षर किए। ये एलओआई ओएनडीसी की क्षमता और प्‍लेफार्म के साथ सहयोग करने के लिए देश के अग्रणी स्टार्टअप की उत्सुकता को दिखाते हैं।

डीपीआईआईटी के संयुक्त सचिव, श्री संजीव ने स्टार्टअप्स और ओएनडीसी के बीच निरंतर सहयोग के लिए सरकार के विज़न पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “स्टार्टअप नवाचार प्रोत्‍साहन, प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर और उपभोक्ता की पसंद को बढ़ाकर ओएनडीसी इकोसिस्‍टम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। आज के कार्यक्रम में 125 से अधिक स्टार्टअप्स ने ओएनडीसी नेटवर्क से जुड़ने की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की, जो राष्ट्रीय पहल के उत्साह और गति को दर्शाता है।”

ओएनडीसी के एमडी एवं सीईओ श्री. टी. कोशी ने कहा, “ओएनडीसी स्टार्टअप महोत्सव भारत की डिजिटल परिवर्तन यात्रा में एक महत्वपूर्ण क्षण है। हमारे इकोसिस्‍टम के भीतर सहयोग और नवाचार को बढ़ावा देकर हम ई-कॉमर्स में खेल के नियमों को फिर से परिभाषित करने के लिए स्टार्टअप को सशक्त बना रहे हैं।”

‘ओएनडीसी स्टार्टअप महोत्सव’ ओएनडीसी और स्टार्टअप इंडिया पहल के बीच एक विशिष्‍ट सहयोग है। प्लेटफ़ॉर्म से 5 लाख से अधिक विक्रेता जुड़े हुए हैं, जिनमें से 70 प्रतिशत से अधिक छोटे या मझोले विक्रेता हैं। अप्रैल 2024 में ओएनडीसी ने लगभग 7.22 मिलियन लेनदेन की सुविधा प्रदान की। इसे साकार करने के लिए ‘ओएनडीसी स्टार्टअप महोत्सव’ का आयोजन किया गया। स्टार्टअप्स और ओएनडीसी के बीच प्रभावी सहयोग के साथ दोनों पहलों का समग्र विकास, बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्था और आगे बढ़ने के विस्‍तृत अवसर खोल रहे हैं।

‘भारतीय ई-कॉमर्स के सहयोगात्मक भविष्य का निर्माण’, ‘ओएनडीसी- स्टार्टअप सफलता की कहानी’ और ‘ओएनडीसी के माध्यम से स्टार्टअप ग्रोथ को आगे बढ़ाना’ जैसे विषयों पर पैनल चर्चाएं आपसी सहयोग के क्षेत्रों और स्टार्टअप तथा उभरते व्यवसायों के लिए अपार संभावनाओं पर केंद्रित थीं ताकि ओएनडीसी के नेटवर्क का विस्तार किया जा सके। पैनल चर्चा के विशेष वक्‍ताओं में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के सदस्‍य श्री अनिल अग्रवाल, डीपीआईआईटी के संयुक्त सचिव श्री ई. श्रीनिवास, भारतीय गुणवत्ता परिषद के महासचिव श्री चक्रवर्ती टी कन्नन; ओएनडीसी की सलाहकार परिषद सदस्य श्रीमती अंजलि बंसल; डीएमडी, सिडबी के डीएमडी श्री सुदत्त मंडल; ईजमाईट्रिप के को-फाउंडर श्री रिकान्त पिट्टी तथा विंज़ो के सह-संस्थापक श्री पवन नंदा शामिल थे। ओएनडीसी के ऑन-बोर्डिंग और प्रभावी उपयोग के लिए स्टार्टअप्स को सहयोग व परामर्श देने के लिए ‘ओएनडीसी पर स्टार्टअप्स को सक्षम करने पर एक मास्टरक्लास’ भी आयोजित की गई थी।

सरकार ने उद्यमियों को समर्थन देने तथा देश में एक मजबूत स्टार्टअप इकोसिस्‍टम बनाने के लिए 16 जनवरी 2016 को स्टार्टअप इंडिया पहल लॉन्च की। वर्ष 2016 के लगभग 300 स्टार्टअप से आज भारत 1.3 लाख से अधिक डीपीआईआईटी मान्यता प्राप्त स्टार्टअप के साथ अग्रणी स्टार्टअप केंद्रों में से एक है। ये 55 से अधिक क्षेत्रों में काम कर रहे हैं और विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार ला रहे हैं। स्टार्टअप्स ने देश में 13 लाख से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन किया है।



सरकार की एक और विशिष्‍ट पहल में ओएनडीसी को डिजिटल वाणिज्य को लोकतांत्रिक बनाने के मिशन के साथ अपनी तरह के पहले प्रोटोकॉल के रूप में 2021 में लॉन्च किया गया था। आज, ओएनडीसी पूरे भारत में पूरी तरह से चालू है, डिजिटल अवसंरचना को पूरा कर लिया गया है और बड़े पैमाने पर व्यवसायों और जनता के लिए प्रस्‍तुत किया गया है। ओएनडीसी डिजिटल कॉमर्स में प्रवेश-बाधाओं को कम करता है और सभी ई-कॉमर्स प्रतिष्‍ठानों, विशेष रूप से छोटे पैमाने के व्यवसायों तथा डिजिटल रूप से बाहर किए गए लोगों के लिए समान अवसर प्रदान करता है। स्टार्टअप प्रतिस्पर्धी कीमतों पर अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पाद और सेवाएं प्रदान करने वाली चुस्त कार्य संस्कृति वाले नवप्रवर्तक हैं। देश में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को पाने के लिए स्टार्टअप एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। बाज़ार बनाना और खोजना स्टार्टअप्स के लिए एक चुनौती है जिसे ओएनडीसी प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से हल किया जा सकता है। यह सहयोग के महत्व पर बल देता है।

देश में पिछले कुछ वर्षों में उद्यमियों के लिए अनुकूल वातावरण बना है। सरकार ने स्वयं कई नवीन सुधार और पहल शुरू की हैं। ओएनडीसी ई-कॉमर्स को लोकतांत्रिक बनाने के लिए सरकार की एक ऐसी अभिनव पहल है, जो अब देश के स्टार्टअप इकोसिस्‍टम को और मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यह भव्य महोत्सव इस उपयोगी सहयोग को साकार करने की दिशा में प्रारंभ और पहला कदम है।

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नई दिल्ली

इस्पात मंत्रालय ने “इस्पात क्षेत्र में स्थिरता बनाने” पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया

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नई दिल्ली । इस्पात मंत्रालय ने आज विज्ञान भवन, नई दिल्ली में ” इस्पात क्षेत्र में स्थिरता स्थापित करने” पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का उद्देश्य चुनौतियों को कम करने के लिए टिकाऊ प्रथाओं, उभरती प्रौद्योगिकियों और उपकरणों पर ध्यान केंद्रित करके इस्पात क्षेत्र के महत्वपूर्ण मुद्दों पर हितधारकों के साथ जुड़कर इस्पात उद्योग में टिकाऊ प्रथाओं को आगे बढ़ाना है। उद्घाटन सत्र में इस्पात मंत्रालय के सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) की सचिव सुश्री लीना नंदन, इस्पात मंत्रालय और पीएसयू के अधिकारी, विशेषज्ञ और इस्पात क्षेत्र के अन्य हितधारकों ने भाग लिया।

इस्पात मंत्रालय के सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा ने उद्घाटन सत्र को संबोधित किया और कहा कि इस्पात क्षेत्र की स्थिरता को संबोधित करने के लिए यह कार्यशाला एक महत्वपूर्ण पहल है और इस्पात मंत्रालय के एमओईएफसीसी और नीति आयोग सहित अन्य मंत्रालयों के साथ बातचीत की निरंतरता में है।  

बढ़ती मांग के बीच बढ़ते कार्बन उत्सर्जन की चुनौती को संबोधित करते हुए, श्री सिन्हा ने बताया कि भारत का प्रति टन कच्चे इस्पात का उत्सर्जन वैश्विक औसत से 25 प्रतिशत  अधिक है और यह अन्य बातों के अलावा, प्राकृतिक गैस की कमी, उपलब्ध लौह अयस्क की गुणवत्ता, जिसे डायरेक्ट रिड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) प्रक्रियाओं में उपयोग के लिए लाभकारी बनाने की आवश्यकता होती है और स्क्रैप की सीमित उपलब्धता, घरेलू स्क्रैप उत्पादन केवल 20-25 मिलियन टन है जैसे कारकों के कारण है।

इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए, श्री सिन्हा ने खान मंत्रालय और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के एक टास्क फोर्स के चल रहे प्रयासों का उल्लेख किया, जो इस्पात निर्माण के लिए निम्न-श्रेणी के लौह अयस्क की उपयुक्तता में सुधार करने के लिए इसको लाभकारी बनाने पर केंद्रित है। उन्होंने स्क्रैप उपलब्धता को प्रभावित करने वाले ऐतिहासिक कारकों पर भी चर्चा की और कहा कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित ऑटो सेक्टर के लिए विस्तारित निर्माता जिम्मेदारी (ईपीआर) जैसी नीतियों का उद्देश्य वाहन स्क्रैप उपलब्धता बढ़ाना है, हालांकि औद्योगिक और निर्माण क्षेत्र में इस्पात की अधिक खपत जारी रहेगी।

इन चुनौतियों के बावजूद, कार्बन उत्सर्जन को उल्लेखनीय रूप से कम करने की सख्त जरूरत है। उन्होंने बताया कि स्टील बनाने में 90% उत्सर्जन स्कोप 1 (फैक्ट्री गेट के भीतर) से होता है, शेष उत्सर्जन स्कोप 2 (बिजली उत्पादन) और स्कोप 3 (अपस्ट्रीम प्रक्रियाओं) से होता है। इसलिए, उद्योग का अपने उत्सर्जन पर पर्याप्त नियंत्रण है और उसे इसे स्थिर करने की दिशा में सक्रिय कदम उठाने चाहिए।

श्री सिन्हा ने सभी संबंधित हितधारकों को प्रोत्साहित किया, “हालांकि मंत्रालय मार्गदर्शन और सलाह देता रहेगा, लेकिन यह जरूरी है कि इस्पात उद्योग उत्सर्जन को कम करने और स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में काम करने के लिए पृथ्वी के संरक्षक के रूप में जिम्मेदारी लें।”

इस्पात मंत्रालय के 14 कार्य बल

इस्पात उद्योग में स्थिरता के विभिन्न पहलुओं से निपटने के लिए इस्पात मंत्रालय द्वारा 14 टास्क फोर्स का गठन किया गया है, जैसे सर्वोत्तम उपलब्ध प्रौद्योगिकी को अपना कर ऊर्जा दक्षता बढ़ाना, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना और उत्सर्जन को कम करने के लिए इनपुट तैयार करना। मंत्रालय हरित हाइड्रोजन और कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण (सीसीयूएस) प्रौद्योगिकियों के उपयोग की भी खोज कर रहा है।

इस्पात निर्माण में पानी की खपत

इस्पात निर्माण में पानी की खपत सुधार के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में पहचाना गया। श्री सिन्हा ने कहा कि भारत में पानी की खपत का स्तर अन्य देशों की तुलना में अधिक है, इसे कम करने के प्रयास जारी हैं।

उन्होंने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा बिजनेस रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड सस्टेनेबिलिटी रिपोर्टिंग फॉर्मेट की शुरुआत की भी सराहना की और कंपनियों से इसे गंभीरता से लेने का आग्रह किया। उन्होंने कंपनियों को अपनी वर्तमान स्थिरता प्रथाओं की रिपोर्ट करने और मध्यम अवधि के लक्ष्य निर्धारित करने की आवश्यकता पर जोर दिया, सुझाव दिया कि सीपीसीबी और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे नियामक निकाय इस अभ्यास को प्रोत्साहित करते रहें।

अपशिष्ट उत्पादन और उसके प्रबंधन पर भी चर्चा की गई, जिसमें निर्माण समुच्चय में स्टील स्लैग के उपयोग और कृषि में मिट्टी संशोधक के रूप में उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया। श्री सिन्हा ने घोषणा की कि इन क्षेत्रों में चल रही परियोजनाओं के परिणाम जल्द ही जारी किए जाएंगे।

कार्बन की सीमांत उपशमन लागत

कार्यशाला में अनावरण किए गए उपकरणों में से एक, मार्जिनल एबेटमेंट कॉस्ट कर्व टूलकिट पर बोलते हुए, उन्होंने उल्लेख किया कि यह कंपनियों को कार्बन उत्सर्जन को मापने और कटौती प्रौद्योगिकियों को प्राथमिकता देने में सहायता करेगा। इस उपकरण के माध्यम से, कोई भी विभिन्न प्रकार की उत्सर्जन कम करने वाली प्रौद्योगिकियों, प्रक्रियाओं और विकल्पों को प्राथमिकता दे सकता है। उन्होंने इस उपकरण के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय मानकों और विनियमों को पूरा करने के लिए हर प्रक्रिया और प्रतिष्ठानों के लिए विशिष्ट उच्च गुणवत्ता वाले उत्सर्जन डेटा एकत्र करने के महत्व पर जोर दिया।उन्होंने हरित हाइड्रोजन-आधारित डीआरआई निर्माण पर मंत्रालय के काम पर प्रकाश डालते हुए सभी हितधारकों से सहयोग करने और सर्वोत्तम उपलब्ध तकनीकों को अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “मंत्रालय हरित हाइड्रोजन आधारित डीआरआई बनाने के इस मुद्दे को संभालने के लिए कंसोर्टियम के साथ काम कर रहा है, जहां लोहे को सीधे 100% हाइड्रोजन के साथ अपचयित किया जाएगा। यह तकनीक, हालांकि अभी  महंगी है, लेकिन यदि विकसित की जाए और सामूहिक रूप से अपनाई जाए तो यह एक स्थायी भविष्य का वादा करती है”। 

इस अवसर पर बोलते हुए, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की सचिव सुश्री लीना नंदन ने कहा कि “2030 के लिए भारत के अद्यतन राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) हमारी महत्वाकांक्षा को दर्शाते हैं, जिसके तहत हमारी 50% ऊर्जा गैर-जीवाश्म ईंधन से प्राप्त की जाएगी।” और हमारा लक्ष्य हमारी अर्थव्यवस्था की उत्सर्जन तीव्रता को 45% तक कम करना है”। उन्होंने विचारों को कार्यवाई योग्य सहयोग में बदलने का आह्वान करते हुए इस बात पर जोर दिया कि इस्पात उद्योग के स्थिरता प्रयासों को जिम्मेदारी की गहरी भावना से जन्म लेना चाहिए।

एक दुनिया, एक परिवार और एक भविष्य की भावना में, उन्होंने भारत-स्वीडन औद्योगिक संक्रमण पहल जैसी प्रमुख पहलों पर प्रकाश डाला और परिपत्र अर्थव्यवस्था प्रथाओं के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने संसाधन दक्षता बढ़ाने के लिए वाहन स्क्रैपिंग नीति द्वारा समर्थित रिसाइकल स्टील के उपयोग को प्रोत्साहित किया। इसके अलावा, उन्होंने हरित हाइड्रोजन और कार्बन कैप्चर जैसे क्षेत्रों पर प्रकाश डाला, जहां अंतर्राष्ट्रीय सहयोग महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस्पात उत्पादन को और अधिक टिकाऊ बनाने के लिए हरित हाइड्रोजन के उपयोग को बढ़ाने के लिए वित्तपोषण और प्रौद्योगिकी के महत्व को रेखांकित किया।

कार्यशाला के शेष सत्रों में, मार्जिनल एबेटमेंट कॉस्ट कर्व्स (एमएसीसी) का लाभ उठाने और इस्पात क्षेत्र में विघटनकारी प्रौद्योगिकियों, ऊर्जा दक्षता, कार्बन बाजारों और उत्सर्जन की एआई-आधारित निगरानी पर जोर देने जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई।

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नई दिल्ली

जिंदल स्टेनलेस ने 31 मार्च, 2024 को समाप्त हुई तिमाही और वित्त वर्ष के वित्तीय परिणाम घोषित किए

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पीएटी 501 करोड़ रुपये, पिछले वर्ष की तुलना में 30% गिरावट

नई दिल्ली । जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड (जेएसएल) के निदेशक मंडल ने 31 मार्च, 2024 को समाप्त तिमाही और वित्त वर्ष के वित्तीय परिणामों की आज घोषणा की। कंपनी ने 21,74,610 टन की बिक्री की, जो वित्त वर्ष 2023 की तुलना में 23% अधिक है। एकल आधार पर, शुद्ध आय पिछले वर्ष की तुलना में 9% वृ‌द्धि के साथ 38,356 करोड़ रुपये रही। वित्त वर्ष 2024 में एबिट्डा 4,036 करोड़ रुपये और पश्चात एकल मुनाफा 2,531 करोड़ रुपये दर्ज किए गए, जिनमें पिछले वर्ष की तुलना में क्रमशः 13% और 26% वृ‌द्धि हुई है। गति शक्ति जैसी विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर सरकार के जोर के कारण, स्टेनलेस स्टील की मांग पूरी तिमाही में लगातार बढ़ी है। ऑटोमोबाइल, वैगन, कोच, मेट्रो, पाइप और ट्यूब व अन्य क्षेत्रों में बिक्री काफी अच्छी रही। राठी सुपर स्टील लिमिटेड सुविधा से टीएमटी सरिया के उत्पादन में तेजी आई और कंपनी ने वित्त वर्ष 2024 में 3,000 टन से अधिक स्टेनलेस स्टील सरिया का उत्पादन किया। जिंदल स्टेनलेस के निदेशक मंडल ने शेयरधारकों की मंजूरी के तहत वित्त वर्ष 2024 के लिए 2 रुपये की दर से अंतिम लाभांश भुगतान की अनुशंसा की, जिससे कुल लाभांश भुगतान 3 रुपये यानी 2 रुपये के अंकित मूल्य के साथ प्रति इक्विटी शेयर 150% हो गया। 31 मार्च, 2024 को शुद्ध ऋण 2,418 करोड़ रुपये रहा, जो पिछली तिमाही की तुलना में 22% कम है। इससे इक्विटी के मुकाबले शुद्ध ऋण अनुपात में सुधार हुआ, जो 0.18 दर्ज किया गया। निरंतर और मजबूत घरेलू मांग के चलते, वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में बिक्री बढ़कर 5,70,362 टन हो गई, जो पिछले साल की तुलना में 12% अधिक है, यह किसी भी तिमाही में अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है। शुद्ध आय मामूली रूप से बढ़कर 9,521 करोड़ रुपये हो गई, एबिट्ट्टडा और कर पश्चात एकल मुनाफा में क्रमशः 25% और 28% की गिरावट दर्ज की गई। निकेल की लगातार गिरती कीमतों के कारण नेगेटिव इन्वेंट्री वैल्यूएशन के चलते मार्जिन पर दबाव बना हुआ है। यूरोप और अमेरिका जैसे प्रमुख निर्यात बाजार में भी कारोबार हल्का रहा। तिमाही के दौरान लाल सागर संकट के कारण समुद्री माल ढुलाई में भारी वृ‌द्धि हुई और कंटेनरों की उपलब्धता बाधित होने के परिणामस्वरूप मार्जिन कम हो गया।

चीन से आयात में वृ‌द्धि जारी है, वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही के आंकड़े लगभग 1,40,000 टन बताए गए हैं, जिसमें वार्षिक आधार पर 20% वृ‌द्धि हुई है। चीन से आयात में लगातार वृद्धि से भारत में स्टेनलेस स्टील बाजार निम्न क्वालिटी के माल से भरा हुआ है, जिससे एमएसएमई क्षेत्र को खतरा है और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा व भविष्य के नवाचार के लिए आवश्यक समान अवसर बाधित हो रहे हैं।

अन्य प्रमुख गतिविधियांः

1. जिंदल स्टेनल ने हाल ही में 4.2 मिलियन टन प्रतिवर्ष (एमटीपीए) की क्षमता हासिल करने के लिए अपनी मेल्टिंग और डाउनस्ट्रीम सुविधाओं को बढ़ाने के सिलसिले में 5,400 करोड़ रुपये की प्रमुख अधिग्रहण और विस्तार योजनाओं की घोषणा की। इसमें इंडोनेशिया में 1.2 एमटीपीए स्टेनलेस स्टील मेल्ट शॉप के लिए संयुक्त उद्यम में 49% हिस्सेदारी, जाजपुर, ओडिशा में डाउनस्ट्रीम क्षमता में विस्तार; और मुंद्रा, गुजरात में क्रोमेनी स्टील्स में 54% इक्विटी हिस्सेदारी का अधिग्रहण शामिल है। इंडोनेशिया में संयुक्त उद्यम से उत्पादन को सर्वोच्च गति मिलेगी और कच्चे माल की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, जबकि जाजपुर में विस्तार से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों ग्राहकों को अतिरिक्त फायदा होगा।

2. वहनीयता और ईएसजी

1. जेएसएल ने मार्च 2024 में स्टेनलेस स्टील क्षेत्र में भारत के पहले ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट का उद्घाटन किया। यह प्लांट प्रति घंटे 90 Nm3 ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करता है, जिससे सालाना 2,700 tCO2e कार्बन उत्सर्जन कम होगा।

II. 2050 तक नेट जीरो हासिल करने के प्रयास के तहत, कंपनी ने वित्त वर्ष 2024 में 76,000 टन कार्बन उत्सर्जन सफलतापूर्वक कम किया, जिससे पिछले तीन वित्तीय वर्षों में कार्बन उत्सर्जन में की कुल कमी 2.8 लाख टन हो गई।

III. जेएसएल ने कार्बन उत्सर्जन से मुक्ति प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अप्रैल 2024 में वैश्विक जलवायु कार्रवाई निकाय साइंस बेस्ड टारगेट इनीशिएटिव (एसबीटीआई) ‌द्वारा उल्लिखित निकट अवधि के विज्ञान-आधारित उत्सर्जन में कटौती और नेट जीरो लक्ष्यों के लिए अपनी आधिकारिक प्रतिबद्धता भी जताई।

3. कंपनी ने प्रक्रिया अनुकूलन, सामग्री विश्लेषण और आधारभूत मिश्रित धातु के निर्माण जैसी धातुकर्म परियोजनाओं के लिए अप्रैल 2024 में आईआईटी खड़गपुर के साथ एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए।

4. भारत के माननीय प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत मिशन को बढ़ावा देते हुए, कंपनी ने मार्च 2024 में कोलकाता में भारत की पहली अंडरवाटर मेट्रो लाइन के लिए स्टेनलेस स्टील की आपूर्ति की।

5 जेडीए

1.

सामरिक इस्तेमाल की वस्तुएं बनाने वाली जेएसएल की शाखा जिंदल डिफेंस एंड एयरोस्पेस (जेडीए) ने सुपरसोनिक मिसाइल-असिस्टेड रिलीज ऑफ टॉरपीडो (स्मार्ट) प्रणाली में संरचनात्मक अनुप्रयोग के लिए पहली बार 3 एमएम की विशेष मिश्र धातु स्टील शीट सफलतापूर्वक विकसित और आपूर्ति की, जिसका उ‌द्देश्य भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी क्षमताओं को बढ़ाना है।

II. जेडीए ने उपग्रह प्रक्षेपण वाहनों के छोटे मोटर आवरणों के लिए तैयार कम मिश्र धातु की कोल्ड रोल्ड ग्रेड स्टील शीट भी प्रदान की।

6. जिंदल स्टेनलेस ने मार्च 2024 में 500 से अधिक ऊर्जा बचाने वाली हल्की स्टेनलेस स्टील इलेक्ट्रिक बसों के निर्माण के लिए देश की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक बस निर्माता जेबीएम ऑटो लिमिटेड के साथ साझेदारी की।

7. स्टेनलेस स्टील पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करते हुए, वित्त वर्ष 2024 में जेएसएल ने 133 फैब्रिकेटर प्रशिक्षण कार्यक्रम (एफटीपी) आयोजित किए, जिसमें 14,508 फैब्रिकेटरों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया, जबकि वित्त वर्ष 2023 में 6,692 फैब्रिकेटरों को प्रशिक्षण दिया गया था। अकेले वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में, भारत के विभिन्न राज्यों में 46 एफटीपी आयोजित किए गए। 5,800 से अधिक फैब्रिकेटर्स ने इन सत्रों में भाग लिया और स्टेनलेस स्टील फैब्रिकेशन के लिए सर्वोत्तम तौर-तरीकों का प्रशिक्षण लिया।

8. पुरस्कार एवं सम्मानः

1. जेएसएल ने ब्रिटिश सेफ्टी काउंसिल से इंटरनेशनल सेफ्टी अवॉर्ड हासिल किया जो

जाजपुर और हिसार दोनों इकाइयों के लिए सुरक्षा के क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है। II. कंपनी को ओडिशा में ‘औ‌द्योगिक सुरक्षा और व्यावसायिक कल्याण’ में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए माननीय कैबिनेट मंत्री, श्रम और कर्मचारी राज्य बीमा विभाग, श्री सारदा प्रसाद नायक द्वारा सम्मानित किया गया था।

प्रबंधन टिप्पणियां:

कंपनी के प्रदर्शन पर टिप्पणी करते हुए जिंदल स्टेनलेस के प्रबंध निदेशक, श्री अभ्युदय जिंदल ने कहा, “पिछला वित्तीय वर्ष उत्साहजनक रहा है। भारत के विकास के मार्ग पर मजबूती से आगे बढ़ते हुए, हम अपने विकास अनुमानों पर खरे उतरे हैं और हाल ही में हमने अपनी


विस्तार योजनाओं में एक नया अध्याय जोड़ा है। यह विकास परिचालन दक्षता, डिजिटलीकरण कार्यक्रमों, लोगों को सशक्त बनाने की पहल, बाजार विकास और ग्राहक संतुष्टि रणनीतियों पर खास ध्यान दिए जाने पर आधारित है। हम अपनी नेतृत्व स्थिति बरकरार रखने और सोर्सिंग, प्रक्रियाओं और उत्पादों में स्थिरता सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखते हुए भारतीय बाजार में तेजी बनाए हुए हैं।”

जिंदल स्टेनलेस के बारे में

भारत के अग्रणी स्टेनलेस स्टील निर्माता, जिंदल स्टेनलेस का वित्त वर्ष 2023 में वार्षिक कारोबार 38,562 करोड़ रुपये (4.7 अरब अमेरिकी डॉलर) रहा है, और इसकी मेल्ट क्षमता 4.2 मिलियन टन प्रतिवर्ष है। इसकी भारत, और विदेश में स्पेन व इंडोनेशिया समेत सात स्टेनलेस स्टील विनिर्माण और प्रसंस्करण सुविधाएं हैं, और 15 देशों में एक विश्वव्यापी नेटवर्क है। भारत में, दस बिक्री कार्यालय और छह सेवा केंद्र हैं। कंपनी के उत्पादों में स्टेनलेस स्टील स्लैब, ब्लूम, कॉइल, प्लेट, शीट, प्रिसिजन स्ट्रिप, ब्लेड स्टील और कॉइन ब्लैंक शामिल हैं।एकीकृत संचालन से जिंदल स्टेनलेस को लागत प्रतिस्पर्धात्मकता और परिचालन दक्षता में बढ़त मिली है, जिससे यह दुनिया के शीर्ष स्टेनलेस स्टील निर्माताओं में शुमार हो गया है। 1970 में स्थापित, जिंदल स्टेनलेस नवाचार और जीवन को समृद्ध बनाने के दृष्टिकोण से प्रेरित है और सामाजिक जिम्मेदारी के लिए प्रतिबद्ध है। कंपनी उत्कृष्ट कार्यबल, मूल्य आधारित व्यवसाय संचालन, ग्राहकों पर केंद्रित सेवाएं और उ‌द्योग के सर्वोत्तम सुरक्षा तौर-तरीकों का इस्तेमाल करती है। जेएसएल पर्यावरणीय जिम्मेदारी से प्रेरित, हरित, स्थिर भविष्य के लिए प्रतिबद्ध है। कंपनी ‘इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस’ में स्क्रैप का उपयोग करके स्टेनलेस स्टील का निर्माण करती है, जिससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम होता है। यह गुणवत्ता में बिना कोई कमी किए 100% रिसाइक्लिंग करती है, जिससे चक्रीय अर्थव्यवस्था में मदद मिलती है। कंपनी का लक्ष्य वित्त वर्ष 2035 से पहले ही कार्बन उत्सर्जन की तीव्रता को 50% तक कम करना और 2050 तक नेट ज़ीरो हासिल करना है।

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